संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है 2023 Unlocking Spiritual Energy Akhurath Sankashti Chaturthi
संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है? महान पराक्रमी रावण ने क्यों रखा था संकष्टी चतुर्थी का व्रत? इस दिन भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती है? यदि आप भी इस व्रत के बारे में नहीं जानते तो यह लेख आपके लिए ही हैं|
सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। जैसे सोमवार का दिन महादेव को, मंगलवार का दिन हनुमान जी को, बुधवार का दिन गणेश जी को इसी तरह अन्य दिन भी किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है।
इसी तरह हर माह के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित है। इस दिन गणेश जी का विधि विधान से पूजन किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। कुछ भक्तजन गणेश जी के निमित्त व्रत भी रखते हैं। पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन शास्त्रों में गणेश (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) जी की पूजा का विधान है।
गणेश जी की पूजा का विधान (Method of worship of Lord Ganesha)
हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय देवता की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए किसी भी नये कार्य शुभारम्भ करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है, ताकि उस कार्य में लाभ मिल सके।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Akhurath Sankashti Chaturthi auspicious time)
- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 30 दिसंबर, 2023 को 9:43 सुबह
- अखुरथ संकष्टी चतुर्थी तिथि की समाप्ति- दिसंबर 31, 2023 को 11.55 सुबह को समाप्त
- चंद्र दर्शन समय -08.36 रात्रि
- अभिजित मुहूर्त – 11:48 सुबह से 12: 30 दोपहर
- राहुकाल –सुबह 09 बजकर 32 मिनट से 10 बजकर 50 मिनट तक सुबह
संकष्टी चतुर्थी का व्रत कब है? (When is the fast of Sankashti Chaturthi?)
इस बार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत 30 दिसंबर 2023 को रखा जाएगा। इस दिन व्रत करने से आराध्य भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन किसी भी नये कार्य का शुभारम्भ करने से उस कार्य में सफल होने की संभावना अधिक होती है। इसी कारण संकष्टी चतुर्थी व्रत (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) का विशेष महत्व सनातन धर्म में है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत के नियम (Sankashti Chaturthi fasting rules)
सनातन धर्म में किसी भी व्रत की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त से होती है। क्योंकि सनातन धर्म में ब्रह्म मुहूर्त से नये दिन की शुरुआत का विधान है। इसलिए सभी व्रतधारियों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि से निवृत होकर व्रत की शुरुआत करनी चाहिए।
• स्नान करने के बाद सदैव स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
• पूजा घर या मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें।
• व्रत संकल्प के बाद गणेश जी की धूप, दीप और फूल से पूजा करें।
• ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें।
• व्रत के दौरान के दौरान फलाहार का सेवन करें।
• ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें।
• क्रोध करने से बचें और ख़ुद पर संयम बनाये रखें।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Akhurath Sankashti Chaturthi fasting story and katha)
सनातन धर्म में हर व्रत के साथ किसी न किसी कथा का विधान है। अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) के साथ भी कथा जुड़ी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने अपने बल और पराक्रम से स्वर्ग के सभी देवाओं को जीत लिया था। लेकिन बालि को जीतने में महान पराक्रमी असफल हुए।
रावण ने बालि को संध्या समय पीछे से पकड़ लिया। लेकिन वानरराज रावण से बहुत शक्तिशाली थे और उन्होंने रावण को अपनी बाँह (बगल) में दबा लिया और रावण को अपने साथ किष्किंधा पर्वत ले गये। ऐसा कहा जाता है कि वहाँ ले जाकर उन्होंने रावण को रस्सी से बांधा (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) और अपने पुत्र अंगद को खिलौने की तरह खेलने के लिए दे दिया। रावण को इससे भयंकर पीड़ा हो रही थी।
इस पीड़ा से निजात पाने के लिए रावण ने अपने पिता ऋषि पुलस्त्य को याद किया। रावण को इस स्थिति में देखकर पिता बहुत दुखी हुए। ऋषि पुलस्त्य ने अपने मन में सोचा कि अहंकार होने पर देव, असुर और सामान्य मनुष्य का यही हाल होता है।
पुत्र स्नेह और मोह में उन्होंने रावण से पूछ लिया कि तुमने मुझे क्यों याद किया? तब अपने प्रियजन पिता को अपनी दशा बताते हुए रावण ने कहा कि मैं बहुत दुखी हूँ। आप ही मुझे इस दुःख से बाहर आने का रास्ता बताएं।
पिता पुलस्त्य ने रावण की दुखभरी कथा सुनने के बाद कहा कि तुम परेशान मत हो। तुम बहुत जल्द ही इस बंधन से मुक्त हो जाओगे। पिता पुलस्त्य ने रावण को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) और पूजन करने की सलाह दीं। और पूर्वकाल में घटित एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वृत्रासुर की हत्या से मुक्ति पाने के लिए इंद्रदेव ने भी यही व्रत रखा था।
इस व्रत को रखने से ही इंद्रदेव वृत्रासुर की हत्या से मुक्त हुए। इस व्रत को करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं। पिता के कहे अनुसार रावण ने भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) करने का निश्चय किया. और बालि के बंधन से मुक्त होकर अपने राज्य को चला गया।
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी लाभ (Akhurath Sankashti Chaturthi Solution)
- शिक्षा में नहीं आयेगी बाधा – यदि आपका बच्चा पढ़ाई में कमज़ोर है तो आप संकष्टी चतुर्थी के दिन पांच दूर्वा में ग्यारह गांठे लगाकर गणपति जी को अर्पित करें। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इससे बच्चे की बुद्धि तीव्र होती और भविष्य में संतान को लाभ मिलता है।
- व्यापार में लगेंगे चार चाँद- दिन रात मेहनत के बाद भी यदि आपको अपने व्यापार में लाभ नहीं मिल रहा है। आपके विरोधी आपके आड़े आ रहे हैं तो आप अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा। इस मंत्र का जाप सच्चे मन से 108 बार करें। इस मंत्र के जाप से व्यापार से जुड़ी समस्या का शीघ्र निवारण हो जाता है। फिर आपको व्यापार में लाभ मिलेगा।
- सौभाग्य प्राप्ति के लिए- घर में आये दिन कलह होती है और परिवार में शांति नहीं रहती तो आप संकष्टी चतुर्थी (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) के दिन गणेश भगवान को पान का बीड़ा चढ़ाएं और गाय को हरा चारा खिलाएं। रात्री में चंद्रमा को अर्घ्य दें। ऐसी मान्यता है कि इससे मानसिक तनाव दूर होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
Disclaimer:- इस लेख में मात्र सूचनात्मक जानकरी दी गयी हैं। जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और इंटरनेट से संगृहित की गयी है। जिसकी पुष्टि Thebhaktitimes.com की टीम नहीं करती। व्रत के नियम (संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या है) या अधिक जानकारी के लिए किसी पंडित या पुरोहित से परामर्श करें।