What is Pran Pratistha, प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती हैं जानें 1
What is Pran Pratistha : लंबे धार्मिक मतभेद के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने घर विराजमान होने वाले हैं। 22 जनवरी 2024 को श्रीराम के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसके बाद करोड़ों श्रीराम भक्त अयोध्या के नवनिर्मित मंदिर में जाकर उनकी पूजा-अर्चना कर पायेंगे। हिंदू धर्म में प्राण प्रतिष्ठा का ख़ास महत्व होता है और विश्वास किया जाता है कि प्राण प्रतिष्ठा करने से भगवान की प्रतिमा जीवित हो उठती है। चलिए जानते हैं शास्त्रों के अनुसार प्राण प्रतिष्ठा कैसे होती हैं और इसकी प्रक्रिया क्या है।
प्राण प्रतिष्ठा क्या है? (What is Pran Pratistha?)
जब किसी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है तब संस्कृत के मंत्र, श्लोक द्वारा उस देवी या देवता का शास्त्रोक्त आवाहन किया जाता है कि वे उस प्रतिमा में प्रतिष्ठ हों। शास्त्रों के अनुसार, बिना प्राण प्रतिष्ठा के प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए।
प्राण प्रतिष्ठा मंत्र (Pran Pratistha Mantra)
• मानो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं, तनोत्वरिष्टं यज्ञ गुम समिमं दधातु विश्वेदेवास इह मदयन्ता मोम्प्रतिष्ठ ।।
• अस्यै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणाः क्षरन्तु च अस्यै, देवत्व मर्चायै माम् हेति च कश्चन ।।
• ॐ श्रीमन्महागणाधिपतये नमः सुप्रतिष्ठितो भव, प्रसन्नो भव, वरदा भव ।।
प्राण प्रतिष्ठा महत्त्व (Importance of Pran Pratistha)
सनातन धर्म में प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही मूर्ति की पूजा का विधान हैं।
प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ (Meaning of Pran Pratistha)
प्राण शब्द का अर्थ है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ है स्थापना। इसका शाब्दिक अर्थ है, जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना।
प्राण प्रतिष्ठा प्रक्रिया (Pran Pratistha process)
सर्वप्रथम प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराया जाता है। फिर मुलायम वस्त्र से प्रतिमा को पोछने के बाद देवी-देवता के रंग के अनुसार नये वस्त्र पहनाये जाते हैं। प्रतिमा का ख़ास तरीके से श्रृंगार भी किया जाता है और फिर बीज मंत्रों के पाठ द्वारा प्राण प्रतिष्ठा (What is Pran Pratistha) की जाती है।
भगवान गणेश की पूजा का विधान है ताकि वे किसी भी तरह की आकस्मिक बाधा या विग्न को दूर करें। इस मंत्र का जाप किया जाता है-
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
Disclaimer : यह जानकरी धार्मिक ग्रंथों के आधार पर दी जा रही हैं और यह (What is Pran Pratistha) एक सूचनात्मक जानकरी है| इसकी पुष्टि thebhaktitimes.com की टीम नहीं करती हैं| अधिक जानकारी से पुरोहित से परामर्श करें|