Holika katha | आख़िर किससे तय हुआ था होलिका का विवाह, जानें होलिका की अनकही कथा

Holika dahan
Holika katha : धर्म ग्रंथों के अनुसार होलिका दहन का पर्व भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद की कथा से जुड़ा हुआ है लेकिन इस घटना से एक अन्य कथा भी जुड़ी हुई हैं। आज हम उसी कहानी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
होलिका को ब्रह्माजी जी वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकतीं। इसी वरदान के चलते होलिका ने अपने भाई हिरण्यकश्यप के कहने पर भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में बैठाकर जलती अग्निकुंड में बैठ गयी थीं।
हालांकि भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु की कृपा से बच गये लेकिन वरदान के दुरुपयोग के कारण होलिका अग्निकुंड में जलकर राख हो गयी। होलिका से जुड़ी यह कथा आप सभी को पता है लेकिन होलिका की एक अनकही कथा शायद ही आप लोगों को पता हों। चलिए जानते हैं होलिका की अनकही कथा के बारें में
यह कहानी हिमाचल की लोककथाओं में सुनने को मिलती है। इस लोककथा के अनुसार यह माना जाता है कि होलिका की प्रेम कथा भी थी। इस कथा में होलिका को एक बेबस प्रेयसी के तौर पर देखा जाता है, जो अपने प्रेमी से मिलने के लिए दुर्भाग्यवश मृत्यु को गले लगा लेती है।
होलिका का विवाह इलोजी (लड़के का नाम) से पूर्णिमा के दिन तय हुआ था। उसी समय हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद की विष्णु भक्ति से काफ़ी खिन्न (परेशान) थे। और अनेक उपाय करने के बाद भी वह अपने बेटे से विष्णु भक्ति नहीं छुड़वा पा रहे थे। तब हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका के सामने प्रहलाद को अग्नि में जलाने का प्रस्ताव रखा, जिसे होलिका ने स्वीकार करने से मना कर दिया।
होलिका के प्रस्ताव स्वीकार न करने के कारण हिरण्यकश्यप ने उसके विवाह में व्यवधान डालने की धमकी दी। धमकी के कारण ही होलिका ने भाई की बात स्वीकार कर ली।

होलिका अग्नि की उपासक थीं और उसे ब्रह्मा जी से अग्नि में न जलने का वरदान भी मिला हुआ था, इसलिए उसे अग्नि का भय नहीं था। जिस दिन होलिका का विवाह होना था उसी दिन होलिका को यह कार्य भी करना था।
दूसरी ओर इलोजी इन सभी बातों से अनजान था। वह बारात लेकर आ रहा था। इधर विवाह का मंडप सजा था और उधर होलिका अपने भांजे प्रहलाद को जलाने के प्रयास में स्वयं जलकर राख हो गई।
जब इलोजी बारात लेकर पहुँचा तब तक होलिका की देह खाक हो चुकी थी। इस घटना से इलोजी बहुत दुखी हुआ और वह सहन नहीं कर पाया, इसलिए उसने भी उसी अग्निकुंड में छलांग लगा दी लेकिन तब तक आग बुझ चुकी थी।
अपना आपा खोकर इलोजी राख़ और लकड़ियाँ लोगों पर फेंकने लगे। वह पागल जैसे बर्ताव करने लगा और फिर इस अवस्था में उसने पूरा जीवन गुजारा। आज भी हिमाचल में होलिका-इलोजी की प्रेम कहानी को लोग गाकर याद करते हैं।
Holika katha अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Important FAQs
होलिका दहन कैसे मनाया जाता है? । How is Holika Dahan celebrated?
होलिका दहन पर चौराहें पर लकड़ी और घास के समूह को आग लगाते हैं, जिसे होलिका कहा जाता है। लोग समूह में मिलकर प्रार्थना करते हैं और भगवान का ध्यान करते हैं।
होलिका दहन कब मनाया जाता है? । When is Holika Dahan celebrated?
होलिका दहन होली की पूर्वसंध्या पर मनाया जाता है। होलिका दहन के दूसरे दिन होली का त्योहार मनाया जाता है।