दीपावली पर माँ लक्ष्मी की पूजा क्यों करते हैं?
दीपावली पर माँ लक्ष्मी की पूजा क्यों करते हैं? :- भगवान श्री राम के चौदह वर्ष के वनवास के बाद पुन: अयोध्या लौटने की ख़ुशी में दीपावली का पर्व हर्सोल्लास के साथ भारत समेत विश्व के अन्य देशों में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन दीपावली के दिन श्रीराम की पूजा के बजाय माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। आखिर क्यों दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है? इस लेख में आप इन्हीं प्रश्नों के उत्तर विस्तार में पाएंगे। वैसे तो इस प्रश्न से जुड़ी अनेक मान्यताएँ प्रचलन में हैं। कुछ प्रचलित मान्यताएँ इस प्रकार हैं।
माता लक्ष्मी का विवाह भगवान विष्णु से
यह कथा त्रेता युग से पहले की है जो समुंद्र मंथन के समय से जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि एक बार देवताओं के अहंकार से रुष्ट होकर माता लक्ष्मी पाताल लोक में चली गयी थी, जो कि समुंद्र की गहराइयों में था। जब समुंद्र मंथन हुआ तो उसमे से माता लक्ष्मी भी प्रकट हुई थी। यह दिन कार्तिक मास की पूर्णिमा का दिन था जिसे हम शरद मास की पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। यह दिन लक्ष्मी माता के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं।
माता लक्ष्मी का मृत्यु लोक पर आना
मान्यता हैं कि इस दिन माता लक्ष्मी अपने बैकुण्ड धाम से मृत्यु लोक को आती हैं तथा अपने भक्तों के घरों में प्रवेश कर उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं। दिवाली की रात को माता लक्ष्मी का मृत्यु लोक पर आगमन होता हैं। इस दिन माता लक्ष्मी मृत्यु लोक पर भ्रमण पर निकलती हैं तथा अपने मनचाहे घर में प्रवेश करती हैं। इसके पीछे एक बूढ़ी स्त्री की कथा भी जुड़ी हुई हैं। इसलिये लोग दिवाली के दिन अपने घरो को रोशन रखते हैं व रातभर अपने घर के द्वार बंद नही करते क्योंकि इस दिन लक्ष्मी माता कभी भी घर में प्रवेश कर सकती हैं। यदि द्वार बंद हैं तो लक्ष्मी माता नही आती।
माता लक्ष्मी के साथ माता सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा भी अनिवार्य
इसके साथ ही हम देखते हैं कि दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ माता सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा भी अनिवार्य से रूप से की जाती हैं। मान्यता हैं कि जिस घर में माता लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा ना की जाए तो उस घर में माता लक्ष्मी का प्रवेश नही होता। इस बात का आशय यह हुआ कि धन वही रहता हैं जहाँ विद्या व बुद्धि का समावेश होता हैं। बिना विद्या व बुद्धि के धन का कोई महत्व नही हैं। इसका पता हमें लकड़हारे की कथा से चलता है।
दीपावली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा
दीपावली की संध्या को लोग अपने घरों व दुकानों पर शुभ मुहूर्त पर माँ लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। माँ लक्ष्मी की उपासना के बाद ही अन्य कार्य संपन्न किए जाते हैं। व्यापारियों के लिए यह दिन नये वर्ष का प्रथम दिन भी होता हैं। इस दिन सभी व्यापारी अपने बही-खातों की पूजा कर उस पर साथिया बनाते हैं व तिलक लगाते हैं। बही-खाते को माँ लक्ष्मी के चरणों में आशीर्वाद के लिए रखते हैं ताकि वर्ष भर माँ लक्ष्मी की कृपा उन पर और उनके व्यापार पर बनी रहें।
भारत के उड़ीसा, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में इस दिन माँ काली की पूजा होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माँ काली लगभग 60 हजार योगिनियों के साथ प्रकट हुई थी। इसलिए भारत के कुछ राज्यों में माँ काली की अर्धरात्रि में पूजा की जाती है।