दशहरा को विजयदशमी क्यों कहते हैं

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क्या आप भी दशहरा और विजयदशमी के अर्थ को एक समझते हैं? तो आप भी अमूमन लोगों की तरह गलती कर रहें हैं, जबकि दशहरा और विजयदशमी में एक महीन अंतर है| इस लेख में आप दशहरा और विजयदशमी के मूल अंतर को समझ पाएंगे, तो चलिए जानते हैं|

दशहरा का अर्थ

दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार हैं। इसी दिन श्री राम ने रावण का वध किया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण का वध करने से पूर्व भगवान श्री राम ने नौ दिनों तक शक्ति की उपासन की थी और दशवें दिन रावण का वध किया था। इस तरह बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी। दशहरे से पूर्व 9 दिनों तक रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान श्री राम के जन्मकाल से लेकर रावण वध तक का मंच किया जाता। दसवें दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण पुतले जलाए जाते हैं।

दशहरा को विजय का प्रतीक माना गया है। यह विजय तिथि है। पहले के समय में राजाओं के द्वारा विजयप्राप्ति के लिए दशमी तिथि पर शस्त्र पूजन किया जाता था, जो परंपरा आज भी चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि दशहरा पर शस्त्र पूजन अवश्य करना चाहिए। इस दिन भगवान श्री राम, मां दुर्गा, मां सरस्वती, गणेश भगवान और हनुमान जी की आराधना करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं। इस दिन गाय के गोबर से दस गोले या कंडे बनाएं। इन कंडों में नवरात्रि के प्रथम दिन बोये गए जौ को लगायें। इसके बाद धूप और दीप जलाकर पूजा करें।

विजयदशमी का अर्थ

विजयदशमी देवी दुर्गा के नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त करने का सूचक है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसलिए दशमी को ‘विजयदशमी’ के नाम से भी जाना जाता है। सर्व-गुणों की समरूप देवी दुर्गा ने इसी दिन  आसुरी  सामर्थ्य  पर विजय प्राप्त की थी। सभी मानवीय मूल्यों को कुचलकर, सद्गुण व सद्प्रवृत्ति को स्थान न देने वाले उन्मत्त रावण को इसी दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने रक्त-स्नान  करवाया  था  तथा देवी-देवताओं को उसके अन्याय से मुक्त करवाया था| रामलीला तथा दुर्गा पूजा इन दोनों उत्सवों को विजयशाली इतिहास की पावन स्मृति लोक मानस में बनायें रखने की दृष्टि से ही मनाया जाता है।

इस दिन शक्ति पूजा का भी विधान है। शक्ति पूजा का तात्पर्य शस्त्र पूजा से है, क्योंकि शस्त्र की पूजा वही करता है जिसके पास शक्ति होती है। शस्त्र और शक्ति दोनों एक दूसरे के पूरक भी है और एक दूसरे के प्रतीक भी।

राष्ट्र में स्वाभिमान को जागृत करने और विजयशाली बनाये रखने के लिए समस्त भारत के समाज  को  एक  सूत्र  में  बांध कर। उनमें एकात्म की भावना जगाकर, निःस्वार्थ, राष्ट्र-भक्ति सम्पन्न, अनुशासनबद्ध, शक्ति-सम्पन्न  समाज  खड़ा करना होगा।

अंत में हम कह सकते हैं कि दशहरा अथवा विजयदशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति की आराधना का पर्व है। हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। यह त्योहार देश के कोने-कोने में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।

दशहरा का दिन क्यों होता है शुभ?

 मान्यता है कि यदि दशहरा पर कोई कार्य किया जाए तो वह अवश्य सफल होता है। शास्त्रों में इस तिथि को बहुत ही श्रेष्ठ बताया गया है। यह तिथि विजय प्राप्ति की तिथि मानी गयी है। इस दिन पूजा अर्चना करने से  जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। विजयदशमी को घर के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में लाल रंग के फूलों या कुमकुम, गुलाल से रंगोली या अष्टकमल की आकृति बनानी चाहिए और दीप जलाना चाहिए। ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। आपके घर में सुख- समृद्धि आती है।

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