Basant panchami kab hai 2024, When is Basant Panchami जानें बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
Basant panchami kab hai 2024 : हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा का विधान हैं, क्योंकि इसी दिन माँ सरस्वती का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन माँ सरस्वती की पूजा का विधान है।
ऐसी भी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के मुख से ज्ञान और विद्या की देवी माँ सरस्वती प्रकट हुई थीं। बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु की शुरूआत होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार वंसत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा करने से माँ लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है।
चलिए जानते हैं Basant panchami kab hai 2024, बसंत पंचमी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में-
बसंत पंचमी 2024 का शुभ मुहूर्त-Auspicious time of Basant Panchami 2024
तिथि | समय |
14 फरवरी 2024 | 12:09 दोपहर से |
समाप्ति | |
उदया तिथि | 14 जनवरी 2024 |
बसंत पंचमी | 14 फरवरी सुबह 7:01 से |
दोपहर 12:35 तक |
इस तालिका के अनुसार, बसंत पंचमी की पूजा 14 फरवरी 2024 को सुबह 7 बजकर 1 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक के दौरान की जा सकती है।
बसंत पंचमी 2024 पूजा विधि-Basant Panchami 2024 puja method-
क्रमांक | क्रिया | विवरण |
1 | सुबह स्नान | सुबह स्नान करें और निवृत्त होकर पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनें। |
2 | सरस्वती पूजा का संकल्प लें | सरस्वती पूजा का संकल्प लें और पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। |
3 | मां सरस्वती को स्नान कराएं | मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं और फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। |
4 | पूजा सामग्री अर्पित करें | पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन, पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि मां सरस्वती को अर्पित करें। |
5 | गेंदे के फूल की माला पहनाएं | सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। |
6 | सरस्वती वंदना एवं मंत्र पढ़ें | सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें और सरस्वती कवच का पाठ करें यदि चाहें। |
7 | हवन करें | हवन कुंड बनाएं, हवन सामग्री तैयार करें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की माला का जाप करते हुए हवन करें। |
8 | मां सरस्वती की आरती करें | खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें और पूजा समाप्त करें। |
सरस्वती माता की वंदना (worship of goddess saraswati)
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्॥
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥२॥
सरस्वती माँ की आरती (Aarti of Goddess Saraswati)
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
चंद्रवदनि पद्मासिनी, ध्रुति मंगलकारी।
सोहें शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी ॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
बाएं कर में वीणा, दाएं कर में माला।
शीश मुकुट मणी सोहें, गल मोतियन माला ॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया ॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो ॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो ॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें।
हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें ॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ।
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
बसंत पंचमी की पौराणिक कथा (Mythology of Basant Panchami)
वैसे तो बसंत पंचमी (Basant panchami kab hai 2024) को लेकर अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार जगत रचयिता भगवान ब्रह्मा ने जीवों और मनुष्यों की रचना की थीं। साथ ही उन्होंने इस बात का भी ध्यान रखा कि वातावरण बिलकुल शांत हो और उसमें किसी की भी वाणी न हो। यह सब करने के बाद भी जगत रचयिता ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं थे। उन्हें जगत सुनसान और निर्जन नजर आने लगा।
तब जगत रचयिता ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिड़का। छिड़के जल से धरती पर कंपन हुआ और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी (चार भुजाओं वाली) सुंदर देवी प्रकट हुईं।
इस सुंदर देवी के हाथ में वीणा, पुस्तक, कमल थे। ब्रह्मा जी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। देवी के वीणा बजाने से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई। इस घटना के बाद जगत रचयिता ने देवी को ‘सरस्वती’ कहा।
देवी सरस्वती ने वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी, इसलिए बसंत पंचमी (Basant panchami kab hai 2024) के दिन माँ सरस्वती की पूजा का विधान हैं। इस दिन माँ सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, हंसवाहिनी, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है।
बसंती पंचमी कब, क्यों और कहाँ मनाई जाती है? (When, why and where is Basanti Panchami celebrated?)
पहलू | विवरण |
विशेषता | हिन्दू धर्म में विद्या, कला, संगीत, वाक्यार्थ, और बुद्धि की देवी |
पूजा का महत्व | विद्या, बुद्धि और कला में वृद्धि, शिक्षा में सफलता |
पूजा का समय | माघ महीने में, बसंत पंचमी को (हिन्दू कैलेंडर के अनुसार) |
वाहन | हंस (स्वान) |
उपासना मंत्र | “ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः” |
रूप | महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती |
पूजा का स्थान | भारत भर में, उत्तर भारत में, धार्मिक उत्सवों में |
प्रतीक | वीणा, कला और संगीत का प्रतीक |
शास्त्रीय महत्व | वेदों में ज्ञान की देवी, विद्या की प्राणशक्ति |
विग्रह | सात हाथों के साथ, वाहन हंस या स्वान |
उपासना दिशा | सरस्वती याक्षिणी का उपासना स्वर-साधना और संगीत में सिद्धि के लिए |
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Important FAQ
- सरस्वती माता के कितने पुत्र-पुत्री हैं?
सरस्वती माता के दो पुत्र हैं – कार्तिकेय और कुशिकेय, जो ब्रह्मा जी के साथ मिलकर बने थे।
- सरस्वती माता का हिंदू धर्म में क्या स्थान हैं?
विद्या, शिक्षा और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है।
- सरस्वती पूजा कैसे मनाई जाती है?
माँ सरस्वती की प्रतिमा की पूजा के साथ-साथ वीणा, पुस्तक और कमल का पूजन किया जाता है, जिससे विद्या की प्राप्ति होती है।
- सरस्वती माता अपने हाथ में क्या लिए रहती हैं?
वीणा, पुस्तक, कमल
- सरस्वती माता का वाहन क्या हैं?
हंस या स्वान
- सरस्वती माता का मंत्र क्या हैं?
ऐं सरस्वत्यै नमः (Basant panchami kab hai 2024)
- सरस्वती माता की उपासना कहाँ-कहाँ होती हैं?
सरस्वती माता की उपासना भारतीय उपमहाद्वीप में होती है। साथ ही प्रवासी भारतीय भी सरस्वती माता की पूजा करते हैं।
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